उत्तर:— ध्वनि एक प्रकार का यांत्रिक तरंग है जो एक माध्यम, जैसे कि हवा, पानी या ठोस पदार्थ, के माध्यम से चलती है और जिसे हम सुन सकते हैं।
प्रश्न: 2. कंपन किसे कहते हैं?
उत्तर:— किसी वस्तु की अपनी माध्य स्थिति के आगे–पीछे या बाएँ–दाएँ होने वाली गति को कंपन कहते हैं।
प्रश्न: 3. आयाम क्या है?
उत्तर:— किसी वस्तु की कंपन की अधिकतम विचलन को आयाम कहते हैं।
प्रश्न: 4. दोलन क्या है?
उत्तर:— दोलन एक वस्तु की नियमित और आवर्ती गति को कहते हैं, जिसमें वस्तु एक स्थिर बिंदु के चारों ओर आगे-पीछे या ऊपर-नीचे चलती है।
प्रश्न: 5. आवृत्ति क्या है?
उत्तर:— प्रति सेकंड होने वाले दोलनों की संख्या को दोलन की आवृत्ति कहते हैं। आवृत्ति को हर्ट्ज (Hz) में मापा जाता है।
प्रश्न: 6. आवर्तकाल किसे कहते हैं?
उत्तर:— आवर्तकाल एक दोलन के एक पूर्ण चक्र को पूरा करने में लगने वाले समय को कहते हैं।
प्रश्न: 7. शोर किसे कहते हैं?
उत्तर:— अप्रिया ध्वनियों को शोर कहते हैं।
प्रश्न: 8. ध्वनि किस प्रकार संचारित होती है?
उत्तर:— ध्वनि एक माध्यम के द्वारा संचारित होती है।
जैसे:— कि हवा, पानी या ठोस पदार्थ।
प्रश्न: 9. तारत्वता किसे कहते हैं?
उत्तर:— तारत्वता ध्वनि की ऊंचाई या स्वर को कहते हैं।
प्रश्न: 10. ध्वनि प्रदूषण किसे कहते हैं?
उत्तर:— अनावश्यक और अवांछित ध्वनि को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं।
जैसे:— कि ट्रैफिक की आवाज़, फैक्ट्री की मशीनों की आवाज़, लाउडस्पीकर की तेज़ आवाज़ आदि।
प्रश्न: 11. प्रबलता क्या है?
उत्तर:— ध्वनि के आयाम को प्रबलता कहते हैं। प्रबलता की इकाई डेसीबल है। जब किसी कंपित वस्तु का आयाम अधिक होता है तो इसके द्वारा उत्पन्न ध्वनि प्रबल होती है।
प्रश्न: 12. मानव कान का बाहरी तथा आंतरिक बनावट में क्या अंतर है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:— मानव कान की बाहरी बनावट में तीन मुख्य भाग होते हैं:
(i) बाहरी कान: यह कान का वह हिस्सा होता है जो बाहर दिखाई देता है।
(ii) कान की नली: यह एक छोटी सी नली होती है जो बाहरी कान को कान के पर्दे से जोड़ती है।
(iii) कान का पर्दा: यह एक पतली झिल्ली होती है जो कान की नली के अंत में होती है और ध्वनि तरंगों को आंतरिक कान में भेजती है।
आंतरिक बनावट में तीन मुख्य भाग होते हैं:
(i) कर्णावर्त: यह एक छोटी सी हड्डी होती है जो कान के पर्दे से जुड़ी होती है और ध्वनि तरंगों को आंतरिक कान में भेजती है।
(ii) अर्धचक्र: यह तीन अर्धवृत्ताकार नलियाँ होती हैं जो आंतरिक कान में होती हैं और संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं।
(iii) कर्णकोष: यह एक छोटी सी गुहा होती है जो आंतरिक कान में होती है और ध्वनि तरंगों को मस्तिष्क तक पहुँचाने में मदद करती है।