उत्तर: वह वस्तु जो स्थान घिरे और उसमें कुछ न कुछ द्रव्यमान (वजन) हो वह वस्तु पदार्थ कहलाता है।
उत्तर: पदार्थ तीन अवस्थाओं में पाया जाता है:
उत्तर: वे पदार्थ जिसमें विशेष प्रकार की चमक हो और इलेक्ट्रॉन त्याग कर धन आयन बनाते हैं, एवं धातुओं को पीट-पीटकर चौड़ा किया जा सकता है।
जैसे:— सोना, चांदी, सोडियम।
उत्तर: वे पदार्थ जिसमें विशेष प्रकार की चमक नहीं होती है तथा अधातु को पीटने पर भंगुर हो जाते हैं।
जैसे:— ऑक्सीजन, सल्फर, क्लोरीन, ब्रोमीन इत्यादि।
उत्तर: कुछ धातुएँ प्रकृति में स्वतंत्र अवस्था में पाई जाती हैं जिन्हें अक्रिय धातु कहते हैं।
जैसे:— सोना, चाँदी और प्लेटिनियम।
उत्तर: धातु और अधातु में निम्न अंतर है:
धातु: | अधातु: |
---|---|
(I)धातुएँ विद्युत की अच्छी सुचालक होती हैं। | (I)अधातुएँ विद्युत की कुचालक होती हैं। |
(II)धातुओं में विशेष प्रकार की चमक होती है। | (II)अधातुओं में विशेष प्रकार की चमक नहीं होती है। |
(III)धातुओं को पीट कर पतली चादरें बनाई जा सकती हैं। | (III)अधातुओं को पीटने पर भंगुर हो जाती हैं। |
(IV)धातुएँ इलेक्ट्रॉन त्याग कर धनायन बनाती हैं। | (IV)अधातुएँ इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायन बनाती हैं। |
(V)धातुओं के ऑक्साइड क्षारीय होते हैं। | (V)अधातुओं के ऑक्साइड अम्लीय होते हैं। |
उदाहरण: लोहा, तांबा, एल्युमिनियम, सोना, चांदी। | उदाहरण: कार्बन, सल्फर, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन। |
उत्तर: जिन धातुओं को पीटकर चादर बनाई जाती है, उसे धातुओं के गुण को आघातवर्ध्यता कहते हैं।
आघातवर्ध्यता के कुछ मुख्य लक्षण हैं:
आघातवर्ध्यता के उदाहरण: सोना, चाँदी, ताँबा
उत्तर: कॉपर जिंक को उसके लवण के विलयन से विस्थापित नहीं कर सकता है, क्योंकि जिंक कॉपर से अधिक अभिक्रियाशील है।
उत्तर: जिन धातुओं को खींच कर लंबी तार बनाई जा सकती है धातुओं के इस गुण को तन्यता कहते हैं।
उत्तर: हरा (blue)
उत्तर: एक ही तत्व के अलग-अलग रूपों को अपरूप कहते हैं।
कार्बन के दो अपरूप:
उत्तर: धातुओं और अधातुओं के मिश्रण से बने पदार्थ मिश्र धातु कहलाते हैं।
उदाहरण:
उत्तर: धात्विक ऑक्साइड की प्रकृति क्षारीय होती है।
उत्तर: अधात्विक ऑक्साइड की प्रकृति अम्लीय होती है।
उत्तर: हाइड्रोजन गैस।
उत्तर: हाइड्रोजन गैस।
उत्तर: पारा।
उत्तर: सोडियम और पोटैशियम।
उत्तर: मैग्नीशियम ऑक्साइड बनता है।
उत्तर: हाइड्रोजन गैस को जलाने पर जो ध्वनि निकलती है उसे पॉप ध्वनि कहते हैं।
उत्तर: ऐसी अभिक्रिया जिसमें अधिक क्रियाशील धातु कम क्रियाशील धातु को उसके यौगिक से बाहर कर देता है, ऐसी अभिक्रिया को विस्थापन अभिक्रियाकहते हैं।
उदाहरण:
मान लीजिए हमारे पास एक लोहे की कील है जिसे हम कॉपर सल्फेट के घोल में डालते हैं। कुछ समय बाद हम देखेंगे कि लोहे की कील पर तांबे की एक परत जम गई है और घोल का रंग हरा हो गया है।
इस अभिक्रिया को हम निम्न रासायनिक समीकरण से दर्शा सकते हैं:
Fe (s) + CuSO₄ (aq) → FeSO₄ (aq) + Cu (s)
इस अभिक्रिया में क्या हुआ:
सोडियम को केरोसिन तेल में डुबोकर रखने का मुख्य उद्देश्य इसे हवा और पानी के संपर्क में आने से बचाना है ताकि यह प्रतिक्रिया न करे और आग लगने का खतरा कम हो।